केरल में इन दिनों निपाह वायरस (Nipah Virus) फैला हुआ है। अब भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा है कि इस वायरस से संक्रमित लोगों की मृत्यु दर कोविड की तुलना में 40 से 70 फीसदी ज्यादा है। हालांकि ICMR के डायरेक्टर जनरल राजीव बहल ने कहा कि केरल में इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए कोशिशें की जा रही हैं।
केरल में गई दो लोगों की जान
दिमाग को नुकसान पहुंचाने वाले इस वायरस की वजह से केरल के कोझिखोड में अब तक दो लोगों की मृत्यु हो गई है। इसके अलावा तीन लोगों के संक्रमित होने की खबर आई है। अलग अलग जगहों से एक्सपर्ट्स की टीम भी हालातों का जायजा लेने के लिए कोझिकोड पहुंच गई है। ICMR के अधिकारियों ने निपाह वायरस से बचने और उसकी रोकथाम के लिए उठाए जाने वाले कदम के बारे में जानकारी दी है।
ऐसे कर सकते हैं अपना बचाव
ICMR के अधिकारियों ने बताया कि बार-बार हाथ धोने और फेस मास्क पहनने से इस वायरस की रोकथाम की जा सकती है। उन्होंने कहा कि जो भी उपाय कोविड वायरस को रोकने के लिए किए गए थे वे ही निपाह वायरस को रोकने में कारगर हो सकते हैं। इसमें अगर आप बार-बार अपना हाथ धोते हैं और मास्क पहनते हैं तो आप इस वायरस बचे रह सकते हैं। इसके अलावा सबसे ज्यादा अहम है किसी रोगी के संपर्क से दूर रहना। क्योंकि कोविड की तरह से ही निपाह वायरस से वही लोग पीड़ित हुए हैं जो पहले से ही किसी रोगी के संपर्क में आए थे। इसके अलावा आईसोलेशन के जरिए भी इस वायरस से अपना बचाव कर सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया से दवाएं खरीदेगा भारत
नई दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को एड्रेस करते हुए ICMR के डायरेक्टर जनरल राजीव बहल ने कहा कि भारत निपाह वायरस से निपटने के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक खरीदेगा। उन्होंने कहा, "हमें 2018 में ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की कुछ खुराक मिलीं हैं। हालांकि यह खुराक केवल 10 रोगियों के लिए ही है। उनके मुताबिक, भारत में अब तक किसी को भी यह दवा नहीं दी गई है। बीस और खुराकें खरीदी जा रही हैं। लेकिन दवा को संक्रमण के शुरुआती दौर में ही देना होता है।"
केरल में क्यों सामने आ रहे हैं निपाह के मामले
केरल में निपाह वायरस के मामले सामने आने के सवाल पर बहल ने कहा कि हम इस बारे में नहीं जानते हैं। 2018 में हमने देखा था कि केरल में यह चमगादड़ों की वजह से फैल रहा था। हालांकि हम इस बारे में अभी यह सही से नहीं बता सकते हैं कि यह चमगादड़ से इंसानों में कैसे पहुंचा। हम इस बारे में पता करने की कोशिश कर रहे हैं। बरसात के मौसम में ऐसा हमेशा होता है। उन्होंने कहा कि भारत के बाहर निपाह वायरस से संक्रमित 14 मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई है और वे सभी बच गए हैं।
अभी की गई है केवल एक स्टेज की टेस्टिंग
बहल ने कहा कि दवा की सेफ्टी के बारे में जानने के लिए अभी केवल 1 स्टेज की ही टेस्टिंग की गई है। इस पर कोई भी असरदार टेस्टिंग नहीं की गई है। वैश्विक स्तर पर भारत के बाहर निपाह वायरस से संक्रमित 14 मरीजों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई है और वे सभी बच गए हैं। हालांकि, एंटीबॉडी का इस्तेमाल करने का फैसला केरल सरकार के अलावा डॉक्टरों और रोगियों के परिवारों का भी है। यह चौथी बार है जब राज्य में इस वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। साल 2018 और 2021 में कोझिकोड और 2019 में एर्नाकुलम में इसकी पुष्टि हुई थी.
निपाह वायरस कैसे फैलता है
यह वायरस संक्रमित चमगादड़ों के माध्यम से लोगों और सूअरों जैसे अन्य जानवरों में फैल सकता है। यदि लोग किसी संक्रमित जानवर या उसके शरीर के तरल पदार्थ, जैसे लार या मूत्र, के संपर्क में आते हैं तो वे संक्रमित हो सकते हैं। एक बार जब यह लोगों में फैल जाता है, तो यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है।
निपाह वायरस की वजह से सांस लेने में दिक्कत के साथ साथ घातक इन्सेफलाइटिस यानी कि दिमाग में सूजन जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इस वायरस का इंक्यूबेशन पीरियड 4 से 21 दिनों का होता है। शुरुआती दौर में बुखार, सिरदर्द, चक्कर आना और उल्टी जैसे लक्षण हो सकते हैं। काफी तेज बुखार, सिरदर्द, उल्टी, खांसी, सांस फूलना, व्यवहार में बदलाव/संवेदना, दौरे/असामान्य गति, मायलगिया या मांसपेशियों में दर्द और थकान निपाह वायरस के कुछ लक्षण हैं।